- Ira Mallick prakriti ke ee / madak sunderta/ dharti pr / bikhrayal achhi/ hariyar vastra/ pahiri vasundhra/ gabi rahal/ parvat ke sang
- Sunil Kumar Jha एतेक नीक
नै देखलौं कतोउ
नील पहाड़
एहन लागय ये
उतरि गेल स्वर्ग - Sunil Kumar Jha गुरुदेव 'हैबुन' कोना लिखल जाय कृपा कए के कनी विस्तार बताऊ...बेकल छि हम जानय ले
- Gajendra Thakur१.तागि प्रकृति/ ताकैले भेलौं पार/ सुखल पात (हाइकू) २.ई फूल फल / चढ़ैत जाइ आगाँ/ कम होइए/ उनटि देखी फेर/ लगमे कम दूरे बेशी (टनका/ वाका) ३. रंग छाड़ल/ पहाड़ आर गाछ/ मुदा जीवन (शेनर्यू) ४.झझायल रंग कतेक वर्णक। बच्चाक किताबोसँ बेशी चमकैए ई प्रकृति, फूल, पात, बाट आ अकास। आ एकरा सभकेँ तँ छोड़ू ई बरफ, जे रेगिस्ताने ने छी, बालुक बदला बरफ। मुदा नै अछि ऑक्सीजन आ नहिये फूल-पात। मुदा एकर सेहो देखियौ शान। जइ रस्तासँ अबै छलहुँ से ओतेक कहाँ चमकै छलए। जखन ओइ प्रकृतिक लग छलहुँ तँ कहाँ ओकर रूप निङहारि पाबै छलहुँ। कियो दूरसँ देखैत होएत तँ निङहारि पबैत हएत हमरो, प्रकृतिक बीचमे हमहूँ प्रकृति बनल हएब। मुदा ऐ शिखरपर आबि जे सनगर लगैए ई प्रकृति। [गाछ भेल छै/ असगरुआ बौआ/ पात भेल छै/ खिलौना प्रकृतिक/ शिखर देखि] मुदा आब ऐ शिखरपर एलाक बाद लगैए जे बेकारे एलहुँ एतऽ। ऐ शिखरकेँ ओइ ठामसँ देखै छलहुँ तँ कतेक सुन्नर लगै छल ई शिखर। मुदा शिखरपर एलाक बाद आब तँ वएह गाम नीक लगैए। तुलना तखने ने हएत जखन गामक प्रकृतिकेँ शिखरसँ देखबै। गामसँ शिखर आ शिखरसँ गाम। मुदा लिलसासँ हाइ रे हाइ। आब चलै छी शिखरक ओइ पार। देखै छी ओइ दिसुका लोक समाज। दूरसँ लगैए दुनू कातक गाम नीक, तराउपड़ी। मुदा ओइ कातक गामसँ शिखर ओतेक सुन्नर लागत जतेक ऐ पारक गामसँ लगैए। [नै ठाढ़ होउ/ चलू चली घुरैले/ बनिजार छी/ लोकक बीचमे छी/ जाइत घुरैत छी](हैबून)
- Sunil Kumar Jha गुरुदेव ई ते उदहारण भेल,हैबुन कोना लिखल जाऊ एही के बारे में किछु बताऊँ
- Gajendra Thakurहैबुन एकटा यात्रा वृत्तांत अछि जाहिमे संक्षिप्त वर्णनात्मक गद्य आ बीचमे हैकू, टनका/ वाका पद्य रहैत अछि।यात्रा/ प्रकृतिकक वर्णनक अतिरिक्त संस्मरण सेहो हैबुन द्वारा आब कएल जाइत अछि। पाँचटा अनुच्छेद आ एतबहि हैकू/ टनका केर ऊपरका सीमा राखी तखनेहैबुनक आत्मा रक्षित रहि सकैत अछि, नीचाँक सीमा ,१ अनुच्छेद १ हैकू केर, तँ रहबे करत। हैकू गद्य अनुच्छेदक अन्तमे ओकर चरमक रूपमे रहैत अछि। हैबूनक भाषामे सूक्ष्म विश्लेषण आ अनुभूति रहै छाइ, फराक-फराक; विस्तृत। मुदा से आत्मनिष्ठ नै वस्तुनिष्ठ, बिना लाग लपेटक। सुरसुर-मुरमुर दुनू लेल एतए स्थान नै। एकबेर लिखनाइ शुरू कऽ दियौ सभटा भऽ जाएत।
- Gajendra Thakur उपरका हैबूनमे हम दूटा गद्य अनुच्छेद आ दूटा टनका/ वाका प्रयुक्त केने छी। पहिल गद्य अनुच्छेदक बाद एकटा टनका आ दोसर गद्य अनुच्छेदक बाद सेहो एकटा टनका।
गुरुवार, 9 अगस्त 2012
ऐ प्राकृतिक दृश्यपर एकटा हाइकू/ टंका/ शेनर्यू/ हैबून लिखू।(चित्र: वरुण घाटी नेपाल, सौजन्य विकीपीडिया-Creative Commons Attribution 3.0 Unported license )
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें