Nikhil Jha नील-सुंदरीक मिलन के लेल,
नील-पुरुष व्यग्र भेल,
दूर हरियर वादी में
नव-प्रेमी के मेल भेल
अनुपम दृश्य अहि पृथ्वी पर,बेर-बेर नै आबाई छै,
प्रकृति और सौंदर्य के मिलन,
केकरा नै लुभावै छै,
गहराई के ऊंचाई स,
अलौकिक प्रेम-रस,
उमड़-उमड़ मिलवाई छै,
Nikhil Jha हिंदी में लिखाई छि, मैथिलि रचना में हाथ कनी तंग ऐछ, भूल-चूक के लेल कशम.
Bibhash Chandra Jha katheen sa katheen paristheeti mei apan asteetwa bachawak chesta nai chori,jena ee dhara..
Ira Mallick नीलगगन
के नेह देखि लिय
आइ धरती
अछि नाव बादल
पतवार सखियाँ
डॉ॰ शशिधर कुमर ।
जलधि जलद सञो मिलए क्षितिज पर , से नञि अजगुत बात ।
दर्पण सम् निज हिय उतराओल , अब्धि नील नभ गात ।।
Ira Mallick हमर प्यार
सागर सँ गहरा
आकाश सँओ
अनन्त विस्तारित
नहिँ बान्हू एकरा
Ramashankar Jamayyar Thanks for your posting.
Ramashankar Jamayyar, Birpur (Supal)BHRAugust 24, 2011 at 12:43am via · · 2
मिहिर झा क़तबो ऊँच / होई आकाश तैय्यो / झुकै छे नीचा / धरती रूपी स्वर्ग / प्राप्ति के ईच्छा लेल |
गुरुवार, 9 अगस्त 2012
ऐ प्राकृतिक दृश्यपर एकटा हाइकू/ टंका/ शेनर्यू/ हैबून लिखू ।(चित्र :सौजन्य Lenish Namath, Wikipedia.This file is licensed under the Creative Commons Attribution-Share Alike 3.0 Unported license.)
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