- डॉ॰ शशिधर कुमर ओ शिल्पकार छी एहि भू केर, नञि जानि कते की रचने अछि । स्पर्श मात्र सँ बूझि सकै छी , आँखि सञो देखब सपने अछि ।।
- Gajendra Thakur सजीव हीन / सृष्टिविहीन लोक/ असगर छी/ कला तैयो मरल?/ नृत्य तैयो रुकल?
- Ashish Anchinhar इ मूड़ी निच्चाँ /टाँग दूनू उपर/ वाह रे शिर्षासन....
- Ashish Anchinhar @mihir--- bhai haiku bla blog par aylanhu ki nahi....
- मिहिर झा गजेन्द्र जी द्वारा प्रस्तुत एहि फोटो मे बहुत कल्पना नुकायल छैक|
- Manish Jha tasvir ke gaur saun dekhla par bahut kichh samaijh me aabai chhai.. bahut neek drishya
- Sanjay Kumar Mandal har pristhiti me avichal rahbak lel prerit ka rahal achhi
- Sanjay Kumar Mandal drishya kahi rahal achhi har haal me aapan dharm aa sidhyant par adig rahabak chahi
- ShantiLakshmi Choudhary भिन्न भाव-भंगिमा ल’ क’ (गर्दनि स उपर) प्रकृतिक बहुमुखी रूप:
एकटा सामने सँ (ऊपरवला) अपन उजरल बसुधा के देखि रौदायल कौआ जकाँ अवाक मुँह बउने.
दोसर सामने सँ (निच्चावला) अपन निःशक्तता आ किंकर्तव्यबिमूढ़ता लेल निरीह गाय जकाँ मुँह मन्हुऐने.
तेसर किनार सँ (पैघ मुँहवला) कोनो घड़ियाल सन जंगली प्राणी, तमसायल, बड़का उत्पाद लेल मोन बनबैत. - Umesh Mandal shashidhar ji aa shanti lakshmi ji bad neek ..bad neek..
- Sanjay Jha Bangalore दोनों रहिमन एक से, जौ लौं बोलत नाहिं
जान परत हैं काक पिक, ऋतू बसंत के माहिं - Dhiraj Kumar Jha ee drishya kahi rahal achhi je jena ham ata barso sa raha ka jatek dukh, kast, jivan, mritu, pralay dekh ka adig tharh chhi okra anubhav karo aa hamre jena adig rahu...
गुरुवार, 9 अगस्त 2012
ऐ प्राकृतिक दृश्यपर एकटा हाइकू/ टंका/ शेनर्यू/ हैबून लिखू ।(चित्र :सौजन्य Thomas Wilken, Wikipedia. This file is licensed under the Creative Commons Attribution-Share Alike 3.0 Unported license.)
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