- Gajendra Thakur आजुक भोरक सुनू, दीब जे गीत लगै
ओल नेबो कहि कऽ बौआइ छी, नै पूछू - Gajendra Thakur जड़िसँ फूटि /ई कड़कड़ाइत/ दिग दिगन्त/ पसरत सगरे/ करत आच्छादित (टनका, ५/७/५/७/७)
- Gajendra Thakur सुन्दर भोर. दिन सुन्दर छल राइत सेहो
सुन्दर लोक ई, धरफड़ाइ छी, नै पूछू
गुरुवार, 9 अगस्त 2012
ऐ प्राकृतिक दृश्यपर एकटा गजल, शेर, रुबाइ, कता, हाइकू/ टंका/ शेनर्यू/ हैबून लिखू ।चित्र :सौजन्य Mircea Madau,wikipedia, This work has been released into the public domain by its author, Nelumadau.)
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