आधुनिक मैथिली साहित्य केर सभसँ बेसी नैसर्गिक आ प्रतिभावान आ मैथिलीक पहिल जन-कवि आ मैथिलीक भिखारी ठाकुर श्री रामदेव प्रसाद मण्डल ‘झारूदार’ जीकेँ समर्पित हमर ई किसानी हाइकू।
1) कोदारि लेने / खेतिहर अबैए / खेत हँसैए
2) फूँही पड़ैए / आब खेत-खेतमे /बेंग बजैए
3) आरिक संगे / खूब ढ़ूसि लड़ैए /खेतक पानि
4) बीआ पड़लै /खेत अँकुरा गेलै/ हरखित ओ
5) बसात एने/ सदिखन नचैए/ ओ सीना तानि
6) आएल बाढ़ि / डुबलै सीस धरि / आब की हेतै
7) ओ बेर-बेर / खूब छाती पिटैए / खूब कनैए
8) सरकार तँ /की जुलुम करैए /चुप्पे देखैए
9) खेतिहर तँ / सरकारक संगे /झुट्ठे बैसल
10) गरदनिमे / फाँसी लगा लेलकै /ओ खेतिहर
11) संसद चालू / अटल हो की लालू / हा-हा, ही-ही हू