शुक्रवार, 13 अप्रैल 2012


हाइकू

कारी अकाश
बिजुरी चकमक
बर्षा झहरे

माटिक गंध
गमगम गमके
नाचय मोर

झाँट बिहाड़ि
थकुचलक आम
कुच्चा अचार

आमक गाछी
खोपड़ी छारइछ
पसेना घाम

जोति बिरार
कयलक बाउग
धानक बिया

मुँग जनेर
हरियर कचोर
सगरो बाध

हर बरद
आशान्वित कृषक
जोतय खेत

हाइकू (रामायण कथा)

चैत्र-नवमी
अवध नगर मे
रामक जन्म ।

मिथिला भुमि
धनुष के तोड़ल
सिया विवाह ।

दू वरदान
मंगलथि कैकेयी
दशरथ सँ ।

राजा भरत
रामक वनवास
सगरो शोक ।

स्वर्णक मृग
मोहित मन सीता
पकरू राम ।

पर्णकुटी सँ
वैदेही हरलक
रावण दुष्ट ।

किष्किंधा देश
सुग्रीव के ताड़ल
बालि मारल ।

ताकय सीता
चलल चहुँओर
वानर सेना ।

सागर-पार
कपीश हनुमान
लंका जारल ।

पाथर डारि
नल-नील दू भाई
बान्हल सेतु ।

कुंभकरण
रावण के मारल
जीतल लंका ।

घुमला राम
अवध नगरिया
रामहि राज ।

हाइकू

सगरो शांत
गुमकी पसरल
आकुल मन ।

निःशब्द वन
चिड़ैक फर्र-फर्र
चुप्पी तोड़ल ।

उठलै बिर्ड़ो
प्रलय मचाओल
संकटे प्राण ।

क्षत-विक्षत
धरती खसलय
चिड़ैक खोँता ।

अंडा टूटल
उजरल दुनिया
मोन उदास ।

सोचि-बिचारि
धरती उतरल
खर बिछैले ।

नवका खोँता
चिडैक चहकब
नव लगैए ।

हाइकू


चैतक मास
पछबा हन-हन
माल चरैए ।

पड़रु पीठ
बगुला बइसल
ढील फँकैए ।

बूट मटर
ओरहा सोन्हगर
मुँह पकैए ।

आम्र मज्जर
टिकुला लुधकल
लुक्खी खाइए ।

जुड़-शीतल
कटहर के बर
बड़ी पकैए ।
हर्षित मोन
कोइलीक बाजब
गीत लगैए ।