हाइकू
सगरो शांत
गुमकी पसरल
आकुल मन ।
निःशब्द वन
चिड़ैक फर्र-फर्र
चुप्पी तोड़ल ।
उठलै बिर्ड़ो
प्रलय मचाओल
संकटे प्राण ।
क्षत-विक्षत
धरती खसलय
चिड़ैक खोँता ।
अंडा टूटल
उजरल दुनिया
मोन उदास ।
सोचि-बिचारि
धरती उतरल
खर बिछैले ।
नवका खोँता
चिडैक चहकब
नव लगैए ।
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