गुरुवार, 9 अगस्त 2012

ऐ प्राकृतिक दृश्यपर एकटा गजल, शेर, रुबाइ, कता, हाइकू/ टंका/ शेनर्यू/ हैबून लिखू ।(चित्र :सौजन्यMarc Tokyo Watcher, Wikipedia.This work is licensed under the Creative Commons Attribution-ShareAlike 3.0 License.)- ई बएरक (बैरक) गाछ अछि।

    • Santosh Jha “उशा काल मे रवि किरणक सुन्दरता के छिरियायब, भैर दुपहरिया शीतलता प्रदान करब, सान्झ-राति मे चिरै-चुनमुनक बसेरा, बोन, बारी-झारी, बाट-घाट वा सुसज्जित पार्क मे, जतय आ जहिना राखू तहिना रहब ! मुदा एकटा बात धरि कहब – कतबो हमरा पर प्रहार करू – फले-फूल देब, किछु हानि नै करब”.........
      August 30, 2011 at 9:12am ·  · 3
    • मिहिर झा जंगल सों उठा घर अनलथि
      घर बार मित्र सों दूर केलथि
      पान्गि काटी सुंदरता देलथि
      क्यारी लगाय बिछओनबनौलथि
      पानि पटाय भोजन करओलथि
      ...See More
      August 30, 2011 at 9:51am ·  · 2
    • मिहिर झा करै चित्कार / बेध देलक तार / हृदय पार |
      August 30, 2011 at 9:58am ·  · 3
    • Ira Mallick गाछ कँटीला
      फल कतेक मीठा
      तहियो हम
      व्यँगवाण के भागी
      दुष्ट सौँ उपमा दै
      छै हमरा, ह्रूदय
      विदीर्ण करै छैद
      August 30, 2011 at 11:57am via mobile ·  · 2
    • Sajjan Kumar Jha bahut nic gajender thakur ji

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें