- Brikhesh Chandra Lal आधुनिकता
कृत्रिम वा सहज
खोजिरहल
निश्च्छल आँखिसभ
वनसँ निर्विकार ! - मिहिर झा रूप नीरीह
फसल के दुश्मन
बनगदहा
देखबा मे हरिण
नाम छैक किएक
बनगदहा
ओ नीलगाय ? - Anand Jha Tukur tukur kona takai chhal
meyak anchar tar baisal baisal
ham bhari mon dekhte ragi geli
ankhi ham ohi than atkal
dar ne kanekbo kakro rahaimuh s me shabd ta kahai
suryak kiran s chamkait ankhi
nishchhal ankhi takai chhal
ke patiyetatay okar baat
kahiya tak o khayat laat
nil gaay san bhatkait bhatkait
ehu duniyan ke sahay ye ghat. - Sunil Kumar Jha हम गदहा
मुदा नै ढोयब हम
नुआ-कपडा
उड़बैन बन में
स्वछंद भए कए - मिहिर झा मृग नयना नीरीह सुकोमल
शावक संग कुदैत चलल
निर्विघ्न खाय सघन फसल
बोने जंगल छी रमल
गदहा कहु वा गाय रंगल
हम रहब अविरल चंचल | - Binita Jha sab din bhor mai jhund k jhund neel gai k darshan hoi aich humro gharak balcony sae..............chal kich haad tak hareen san chai
- Chandramani Jha Jangal bhee baajaar ho raha maan,ye to atyaachar ho rahaa maan.Ped kate kankreet bichh rahe, kahaan rahen ham ye to bataa maan.
- डॉ॰ शशिधर कुमर ।
छी हरीन सनि देखबा मे, पर गदहा लोक कहैए ।
हम बूझल, छी ओ गदहा, ओ हमरा शोर करैए ।।
हम ओकरा छी चोर बुझैत, ओ हमरा चोर कहैए ।ई दुनिञा एहने छी रे बौआ, चोरहि जोर बजैए ।।
।।
गुरुवार, 9 अगस्त 2012
ऐ प्राकृतिक दृश्यपर एकटा गजल, शेर, रुबाइ, कता, हाइकू/ टंका/ शेनर्यू/ हैबून लिखू ।(चित्र :सौजन्य Vyzasatya, wikipedia. This file is licensed under the Creative Commons Attribution-Share Alike 3.0 Unported license.)
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