- Gajendra Thakur मखान पान/ दिन तका भेटैए/ पहिचान जे/ पैकारक हाथमे/ बिका रहल अछि
- मिहिर झा ने उपलब्ध / स्वर्गो मे से पायब /पान - मखान / अप्पन गाम-धाम / अप्पन मिथिला मे |
- Santosh Jha " आइ मिथिलाक पह्चान सेहो अहिना गुम भ गेल अछि , जहिना का॑‘ट भरल पात तर मखान , करै जाउ आह्वान जे सभ मैथिल भाइ-बहिन ईक्छा शक्तिक बड.का गान्ज ल क आबी , आ अप्पन पहचान के खोजि क , ओकरा मखान जेका॑॑ उज्जर दप - दप बना , दुनिया भरि मे छिरियाबी !"
- Purushottam Kumar साहित्यक सभ विधामे नीक नीक बउस सभ अपन भाषामे पढ़बाक लेल एहि विदेहपर भेटैए.. धन्यवाद विदेह...
- डॉ॰ शशिधर कुमर ।
पग - पग पोखरि - पान - मखान, जानि ने कहिया सँ गाबी ।
डबरा - पोखरि - धार बीच हम, कतेक जतन सँ उपजाबी ।।
से मखान अन्तऽ संस्कृत भए, "फास्ट फूड" बनि सोझाँ अछि ।
हम हक्कन कनिते रहि गेलहुँ , जगमग सौंसे दुनिञा अछि ।। - डॉ॰ शशिधर कुमर नोट :- “हाइकू / सैनर्यू / टंका / हैबून” केर अंतर्गत हमरा द्वारा प्रेषित हरेक पाँती हमरा द्वारा लिखल कोनो ने कोनो कविता वा गीतक अंश थिक ।
गुरुवार, 9 अगस्त 2012
ऐ प्राकृतिक दृश्यपर एकटा हाइकू/ टंका/ शेनर्यू/ हैबून लिखू ।(चित्र :सौजन्यKaotuka, Wikipedia. This work is in public domain)
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