Santosh Jha " एकताक बल / अलग अलग पा॑चो अन्गुली किछु नहि , मुट्ठी बनला पर ताकत / कखनौ नाव पर गाडी , कखनौ गाडी पर नाव / शेर पर सवा सेर "
Ira Mallick घास चुप छै
काश चुप ऐ, नीँद
मेँ डूबि गेल
ओँघाइत आँखिक
ओझरैत जंगल।
Ashish Anchinhar Ira Mallick-----(घास चुप छै
काश चुप ऐ, नीँद
मेँ डूबि गेल
ओँघाइत आँखिक
ओझरैत जंगल।)....हिन्दी कविता सतपुड़ा के घने जंगल केर अनुवाद अछि।.....
Ira Mallick हाँ हाँ एहि कविता के एक एक पँक्ति हमर मोन मेँ रचल बसल अछि।
Ira Mallick हरित घास
के नरम बिछौना
धरती पर
पसरल छै ,दूर
तलक मखमली
तृण सँ वसुँधरा
कते सुशोभित छै।
Karan Suman Ira Mallick jee ahan ke ehan PARIPKWA rachana ke lel badhayee...badd neek ....aa Sundar CANVAS create kailaun ee kavita men......fer badhaaee
गुरुवार, 9 अगस्त 2012
ऐ प्राकृतिक दृश्यपर एकटा गजल, शेर, रुबाइ, कता, हाइकू/ टंका/ शेनर्यू/ हैबून लिखू ।(चित्र :सौजन्यMarc Veraart, Wikipedia.This file is licensed under the Creative Commons Attribution 2.0 Generic license.)
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