- डॉ॰ शशिधर कुमर नभ श्याम, धरा श्याम, सभ श्यामल - श्यामल । आइ लगइछ प्रकृति, श्याम रंग मे रँगल ।।
- Ramashankar Jamayyar इतनी सुन्दर प्रस्तुतियों को पढ़ने-समझने में समय तो लगता है। घर के लोगों को
भी पढ़ाना चाहा कि वे समझ सकें कि मिथिला-साहित्य किस तरह से प्रगति कर रहा
है।
Ramashankar Jamayyar, Birpur (Supal)BHRJuly 25, 2011 at 7:31am via · ·
गुरुवार, 9 अगस्त 2012
ऐ प्राकृतिक दृश्यपर एकटा हाइकू/ टंका/ शेनर्यू/ हैबून लिखू ।(चित्र :सौजन्य- Graham Scarborough, Wikipedia,This file is licensed under the Creative Commons Attribution-Share Alike 2.0 Generic license.)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें