- Santosh Jha “प्रकीर्तिक छोड. पर मानव क उपस्थिति ,
नव वस्तुक लेल जिग्यासा , सभ प्राणी मात्रक सहज व्रित्ति१” - Santosh Jha “प्रकीर्तिक श्वेत धवल स्वरूप , बर्फ़क श्वेत चद्दरि बिछौने , ताहि पर श्वेत भोलू – भालू सभ करैत छथि विचार ,
ई कारी वस्तु एतय लगैत अछि , जेना चूरा, दही आ चीनी सन्ग अचार.”....... - मिहिर झा अहां क लेल / ई छी दुर्गम स्थल / हमरा लेल / ई थिक क्रीड़ा गृह / ओ हमर निवास |
- Shyam Sunder Choudhary ye kahan aa gaye hum.Dharti par ekhno sunder jagah banki achi jan khojal jay?
- Ira Mallick हिमच्छादित
मनोरम प्रकृति
के कोर मेँ बसल
सुख-स्वर्ग सनके
रजतरूपी धरा - डॉ॰ शशिधर कुमर .
थाकि गेल छी, बहुत चलल अछि, आब कने आराम करब ।
बर्फक कोर मे, पनिडुब्बी सनि, तजि चिन्ता विश्राम करब ।। - Ashish Anchinhar Shashidhar Kumar----इ गजल के रूप मे नीक अछि। एनाहिते शेर सभ लिखैत रहू।.......
- डॉ॰ शशिधर कुमर धन्यवाद आशीश जी। ....................... उपरोक्त दू पाँती हमर टटका लिखित एक गोट गीत सँ अछि । पुर्ण गीत जल्दिए विदेह वा कोनो आन मैथिली पत्रिका मे आओत ।
- डॉ॰ शशिधर कुमर नोट :- “हाइकू / सैनर्यू / टंका / हैबून” केर अंतर्गत हमरा द्वारा प्रेषित हरेक पाँती हमरा द्वारा लिखल कोनो ने कोनो कविता वा गीतक अंश थिक ।
गुरुवार, 9 अगस्त 2012
ऐ प्राकृतिक दृश्यपर एकटा हाइकू/ टंका/ शेनर्यू/ हैबून लिखू ।(चित्र :सौजन्यChief Yeoman Alphonso Braggs, US-Navy, Wikipedia.As a work of the U.S. federal government, the image is in the public domain..)
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