- मिहिर झा उगय चीर / धरती के हृदय / वेह जीवन / छैक मनुष्य केर /ओ जनकनंदिनी |
- Ira Mallick खेत मेँ आब
ते रोपेलै मकैया
मोन करै छै
देखु ताता तथैया
मन मयूर नाचि
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गुरुवार, 9 अगस्त 2012
ऐ प्राकृतिक दृश्यपर एकटा गजल, शेर, रुबाइ, कता, हाइकू/ टंका/ शेनर्यू/ हैबून लिखू ।(चित्र :सौजन्य Derek Ramsey (Ram-Man) , WikipediaPermission is granted to copy, distribute and/or modify this document under the terms of the GNU Free Documentation License, Version 1.2 only as published by the Free Software Foundation; with no Invariant Sections, no Front-Cover Texts, and no Back-Cover Texts. A copy of the license is included in the section entitled GNU Free Documentation License.)
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