- Arvind Kumar बर्फ के पिघलई सँ पहिले, किछु और चैर ले , ओ मवेशी,
किछु दिवस के बाद, नै स्वच्छंद रहS म, ओ मवेशी.
आई तक मानव रहैत छल, निर्भर अहाँ केर प्राण पर,
काल्हि से निर्भर अहाँ बनि, परतंत्र होयब, ओ मवेशी.
( Kshamaprarthi chhi, haiku nai likh ke, ghazal shailee me likhalaun.
ek ta makta aur sher aichh, aasha karai chhi prayatna neek lagat) - Ashish Anchinhar Arvind Kumar----- WAH, WAH, BHAI DUIYE TA SHER ME HILA DELIYAIK........ ONA HAMHU GAZAL KE HIMAYATI CHI...... EHITAH AAU AA APAN GAZAL SEHO DIUAK..... http://
anchinharakharkolkata.blogs pot.com/ - Gajendra Thakur bad neek gazalal shuruaat arvind ji, aar teen- chaari ta sher diyau..
- Sunil Kumar Jha बंजर भूमि
तखनो खोजैत ये
भेड़क झुण्ड
की किछु भेट जाय
क्षुधा शांतिक लेल - Gajendra Thakur बथनियाँ छी/ भेड़केँ हक्का दैत/ ओ जाइ छै/ लखिया भेड़ आगाँ/ भेड़िया धसान नै
- Gajendra Thakur देखै छी ठाढ़े,/अबैत आ जाइत/ भेड़ चरैले/ जाइतकेँ खभाउ/अबिते बथनाउ/
- Badri Nath Jha prakritik vishaalta/manav pashu,sabhak charagah/dohan karu kam/yaih hoyat manavtak utkrisht ta
गुरुवार, 9 अगस्त 2012
ऐ प्राकृतिक दृश्यपर एकटा हाइकू/ टंका/ शेनर्यू/ हैबून लिखू ।(चित्र :सौजन्य-Qfl247, Berlin – Edited by Fir0002 , Wikipedia,This file is licensed under the Creative Commons Attribution-Share Alike 3.0 Unported license.)
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