- Gajendra Thakur बौआचौरीमे/ चरि पेट लटकै/ घर घुरु ने/ चरबाहकेँ ताकै/ निकेना तँ अछि ओ
- मिहिर झा कत' गेलहु /जगत चरवाहा / औ भगवान / चरैत असग़र / छोडि हमरा अहां |
- डॉ॰ शशिधर कुमर सभ चरवाहा इस्कुल गेल ।
अपन बाट महिषो धए लेल।।
ककरा पीठ के हाँकए आब ।
सभ स्वतंत्र, ई जनता राज ।।
गुरुवार, 9 अगस्त 2012
ऐ प्राकृतिक दृश्यपर एकटा हाइकू/ टंका/ शेनर्यू/ हैबून लिखू ।(चित्र :सौजन्य Route11, Wikipedia.This file is licensed under the Creative Commons Attribution-Share Alike 3.0 Unported license.)
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