- Shyam Shekhar Jha jahi deshme gachhnahi hoiy tahi deshme ahi (arando) k pooja hoiya...
- Mitesh Mallick arandik ghaach... Castor plant.... With many medicinal values....
- मिहिर झा पत्र सप्तदल आकार बौन
फर कंटगर मान गौण
हमारा से सब कन्छी काटे
काज पड़े त भागल आबे - Sunil Kumar Jha हम छी अण्डी
हमरा नै ये गम
न ही घमंड
जतय नहि कोई
ओतय हम राजा - डॉ॰ शशिधर कुमर ।
नाम हमर बुझले अछि अण्डी, अण्डनेबा (अणनेबा) के छी सम्बन्धी ।
जेम्हरहि देखब तेम्हरहि पाओब, बाड़ी – झाड़ी पग – पगदण्डी ।।
. - Ashish Anchinhar Shashidhar Kumar------अरण्यमेवा----अड़रमेव
ा-----अड़रनेबा... - डॉ॰ शशिधर कुमर हाँ इहो उत्पत्ति क्रम बताओल जाइत अछि, पर ई अरण्य (जंगल) मे कम आ आङ्गनक लऽगक बाड़ी - झाड़ृी मे बेसी पाओल जाइत अछि ।
- डॉ॰ शशिधर कुमर दोसर गप्प ईहो जे एकर फऽल अण्डाकार होइत अछि ( अण्ड=अण्डाकार + नेबा= फऽल) , जहिना अण्डी केर बीया अण्डाकार होइत अछि ।
- मिहिर झा अड़रनेबा और अण्डी के पात एकदम एकरंग एक प्रकार के होएत छैक
- डॉ॰ शशिधर कुमर ण (मुर्धन्य) केर उच्चारण मैथिली मे "अड़ँ" सन होइत अछि ।
- डॉ॰ शशिधर कुमर हँ, तेँ दुहु सम्बन्धी अछि, वनस्पति शास्त्र मे दुहु एक्कहि कुल मे अबैत अछि ।
- Ashish Anchinhar भाइ पहिने आँगन-बाड़ी नहि होइत छलैक। जंगलमे कुटीक लगमे इ खूब होइत छलैक। मात्र आकार सँ खाली निर्णय नहि हेबाक चाही। जंगलक मेवा बादमे अड़रनेबा बनि गेल।...
- Ashish Anchinhar Shashidhar Kumar---जँ अहाँक शब्द अण्डमेवा रहैत तँ किछु हद धरि शुद्ध मानल जाइत मुदा अण्डनेबा ??????....
- Binod Paswan Bahutek tathya bahar aayal, post ke lel bahut dhanyabad Gajendra Sir,
- मिहिर झा The Papaya or Carica Papaya Linn originated in and around Mexico and Brazil and were brought to India and South East Asian countries by the Portugese and Spanish Sailor Traders.
Read more: http://scienceray.com/biology/ best-digester-papaya/ #ixzz1XRMjH1G0 September 9, 2011 at 1:34pm · · 2 · - डॉ॰ शशिधर कुमर जंगलमे कुटीक लगमे ..........................
............... यौ भाइ अणनेबा मुक्यतः लैटिन अमेरिका केर गाछ थिक जे करीब २५० - ३०० वर्ष पहिने पुर्तगाली सभ द्वारा बारत आनल गेल आ भारत मे शुरुअहि सँ बाड़ी - झाड़ी मे लगाओल गेल । पहिने बाड़ी - झाड़ी आ तगर बाद जंगल मे गेल । - डॉ॰ शशिधर कुमर वर्तनी आ भाषा शास्त्र पर बहुत रास बात कहबाक अछि, पर थिसिस केर कारण समयाभाव अछि, फेर कखनो चर्च करब ।
- डॉ॰ शशिधर कुमर संक्षेप मे एतबहि कहब जे एहि लेल मात्र श्री गोविन्द झा जी लिखित "उच्चतर मैथिली व्याकरण" टा केँ आधार नहि बनाओल जाए, से आग्रह ।
- Ashish Anchinhar भाइ जँ अड़रनेबाक प्रचार250-300 सालसँ पहिने नहि छलैक तँ इ भारतक अविकसित सभ मे बेसी कोना पसरल।.......संक्षेपमे हमहूँ एतबे कहब जे किछु पाश्चात्य वनस्पति शास्त्रक पोथीके आधार नहि बनाओल जाए।....
- डॉ॰ शशिधर कुमर एहिना आलू, लताम, जलकुम्ही, केशौर, शरीफा, अनानस युक्लिप्टस आदि मात्र किछु सौ साल पहिने भारत आयल अछि ।
- डॉ॰ शशिधर कुमर यौ अनचिन्हारजी , मेवा भेल तऽ शुद्ध नेबा भेल तऽ ..........................
. "नेबा" विशुद्ध संस्कृत शब्द थिक जे मैथिली मे देशज बुझना जाइत अछि पर वास्तव मे ओ "तत्सम" शब्द अछि । - डॉ॰ शशिधर कुमर एहिना "अजबाड़ि" देशज बुझि पड़ैत अछि पर अछि विदेशज , ओ अरबी - फारसी केर "आज-भाज" सँ सम्भवतः निष्पन्न भेल अछि ।
- डॉ॰ शशिधर कुमर इ भारतक अविकसित सभ मे बेसी कोना पसरल ......................एकर कारण छलै भारतक उपयुक्त जलवायु, गाछक बिना कोनो विशेष देखरेख केँ अपनहि जनमब आ किछुए महीना मे फड़य लागब ।
गुरुवार, 9 अगस्त 2012
ऐ प्राकृतिक दृश्यपर एकटा गजल, शेर, रुबाइ, कता, हाइकू/ टंका/ शेनर्यू/ हैबून लिखू ।(चित्र :सौजन्य Geographer, This file is licensed under the Creative Commons Attribution 1.0 Generic license.)
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