गुरुवार, 9 अगस्त 2012

ऐ प्राकृतिक दृश्यपर एकटा हाइकू/ टंका/ शेनर्यू/ हैबून लिखू ।(चित्र सौजन्य- Omniii, Wikimedia Commons.GNU Free Documentation License, Version 1.2license. )

    • Gangesh Gunjan कोनो फोटो देखि क' सृजनोंमुखता सं उल्लास-सक्रिय हएब हमरा प्रकृति मे सहज नहिं
      बुझाइछ गजेन्द्र जी. गतिशील फोटो मे से बाधा नहि. स्थिर फोटो चित्त के
      सुन्दर-सुखद-दुखद-प्रिय-अप्रिय अत: नीक आ बेजाय किछु लागि सकैये.मुदा
      ततबे.व्यक्तिगत हमर अनुभव तं य
      ैह. ओना गतिशील चित्रक जे विषय कहलौं तेकर
      सृजन्प्रेरक करुणा सं उद्दीप्त करबाक/ होयबाक एक टा अपन कवि-अनुभव तं कहि सकैत
      छी. अमेरिका -इराक वला युद्ध तं कोनो सम्वेदनशील लोक के भरिसक्के बिसरल
      हेतैक.ओइ दौरान टी.वि.चैनेल सब समाचार मे एकटा पेट्रोलक महा महा भांडारक फाटि
      जयबाक फलस्वरूप, जे प्रायः कोनो महाविनाशक अमेरिकी विस्फोट सं भेल छलैक, भरि
      समुद्र जेना समुद्री जलक नहि, तेलेक लहरि बहय लागल रहैक. ओहि तेल क भयाबह
      ज्वारी मे लेपटयेल अपन जीवन लेल संघर्ष करैत एकटा चिरई के लगातार गत्यात्मक
      दृश्य टी.वि.चैनेल सब एक प्रकारे निर्ममता सं देखबैत रहै. चिरै क पंखी,पूरा देह
      तेल सं लतपथ. ओ तट पर चढ़बाक अपन प्राणपण सं लागल संघर्ष करैत...से दृश्य तेहन
      हृदयविदारक छल, लोक के ओहिना मोन हेतैक आइयो. से ओइ चिरै पर हिंदी मे एकटा
      कविता लिखायेल रहय. कहि नै जे कत' छपलई. छ्पबो कलई कतहु बा नहि.शीर्षक मोन नहि
      परैये एखन. करीब तीस टा कविता ओइ बीचे लिखने रहियैक, मुदा सब टा हिंदी मे .
      'घोड़े' आ 'बच्चे नहीं चाहते युद्ध'.तं छपलो रहय. 'बच्चे नहीं चाहते युद्ध' तं
      पूर्व विधान परिषद् अध्यक्ष प्रोफ़ेसर जाबिर हुसैनक बृहत संकलन मे छ्पलैक. से
      मोन पड़ैत अछि.
      मुदा भारी विषयांतर भ' गेल.माफ़ करू.
      बतौर फोटो तं ई अपूर्व !
      -गंगेश गुंजन.
      May 24, 2011 at 7:55am via  ·  · 4
    • Sunil Kumar Jha अद्भुत दृश्य
      नयनाभिराम ई
      अथाह छिर
      May 24, 2011 at 1:41pm ·  · 4
    • Sunil Kumar Jha छिर समुन्द्र
      देखि कए एकरा
      पुलकीत ये
      मयूर जोंका नाचे
      हमर एही मोन
      May 24, 2011 at 1:47pm ·  · 9
    • Ira Mallick dekhi rahal /amber ni:sabd ee /sagar mon / ke uthhal-puthhal.
      May 24, 2011 at 4:17pm ·  · 11
    • Gajendra Thakur मेघ ऊपर/
      घुरी खदबदाइत/
      छी बड़कैत/..
      May 25, 2011 at 12:09pm ·  · 3

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