शेनर्यू-
(१)
ठोरक रूप
देखि-देखि परखि
मुँहक हँसी
(२)
भजैत चलू
हँसीक खाँटी रूप
झल अन्हार
(३)
देखि-देखि कऽ
हँसैत डेग उठा
चलैत चलू
(४)
झोंक जुआनी
उष्मा पाबि उमसि
झोंकि अबैत
(५)
दाबि रहल
विचार केर धार
कुशहा आब
(६)
आश-निराश
चलैत आबि सदि
धुक्कम चालि
(७)
संगे उठलौं
लाजे पड़ाएल छै
भूत भविष्य
(८)
सूखल जानि
जतए अँटकै छी
काह-कूहमे
(९)
रतुके काज
दिनो गमा बढ़ती
तानि नै पाबि
(१०)
आशा तोड़ि कऽ
अन्याय जुनि करी
सकारथो छै
(११)
देहक पानि
आत्म िनर्भर भेने
फुलाइ रूप
(१२)
चिक्कस बनि
भूमि भरैत एलै
आश प्रेमक
(१३)
जिनगी जेना
रोपि ठेहुन अड़ै
भीड़-कुभीड़
(१४)
संगम संग
सम जहिना चलै
भट्ठा नै शिरा
(१५)
खेल-खेलाड़ी
फेकैत रहैत छै
तर्क-कुतर्क
(१६)
पछुआ रूप
धड़ैत रहैत छै
िनर्मम भाव
(१७)
तहक तह
तहियेलासँ भेटै
भेद-कुभेद
(१८)
शक्ति पाबि
सिंह फुकै छै शंख
सत्य-असत्य
(१९)
सोणित दान
महादान होइछ
जीवन लेल
(२०)
हरिअर आ
पीअर मिलि दुनू
काँच-पाकल
(२१)
एतुक्का गिद्ध
पड़ाइन करैए
मनुक्खे जकाँ
(२२)
गुफाक गुंज
श्वेत वादलक सह
अनुगूंजित।
(२३)
सुरेब सिसो
ऋृगवैदिक सन
कठमकठ
(२४)
पहाड़ पार
उत्तरवारि कात
किछु अवश्य
(२५)
पाथर उगै
पानि सटकै छैक
मेघ लटकै
(२६)
सुग्गा बैसल
सोचि रहल अछि
पाछू लोक ले
(२७)
सुग्गा बैसल
छै चिन्तामे डूमल
दीन-हीन ले
(२८)
परहेज आ
संयमसँ भेटैछ
पैघ जिनगी
(२९)
झूठ बाजब
पाप होइत अछि
स्वयं छोड़ि नै
(३०)
एकटा चान
सातटा देखाइत
मोतियाबिन
(३१)
कनैल बीआ
घुच्ची बना खेलैत
बच्चा-बेदरू
(३२)
माछक चटनी
जोड़ी मरूआ रोटी
चहटगर
(३३)
दुर्गा पूजाक
मतलब होइछ
शक्तिपूजा
(३४)
राजनेतासँ
नीक मानल ऐछ
काजनेता
(३५)
गेंदा पातक
घा हाथ-पएरक
रससँ छुटै
(३६)
खेती-वाड़ीकेँ
किसान लचारीकेँ
कोन महत
(३७)
सबल साँच
दुर्बल भेल झूठ
दुनूमे फाँट
(३८)
खेरही दालि
नेबो रस मिलल
हृदै खिलल
(३९)
गामक चौर
बिसवासू खेती नै
आइ धरि छै
(४०)
ऊँच-नीचक
भेद झपने जाइ
हरिअरी यौ
(४१)
निचुका सभ
चौरस अ-हटल
ऊँचका हटि
(४२)
प्रकृति शक्ति
लाल रंग पाबि कऽ
हँसैत अबै
(४३)
प्रकृति हँसै
लाल रंग पाबि
सुधार लेल
(४४)
बीचक मेधा
हरिअर उज्जर
दूरी व्याप्त छै
(४५)
सघन डारि
एक्को रत्ती नै बैर
निच्चाँ-ऊपर
(४६)
निच्चाँ-ऊपर
समतल सघन
देखू एतए
(४७)
कोनो नै आश
छोड़ि पोरोक साग
सरदियाह
(४८)
केरा गाछमे
घौरक संग कोसा
खुश छै पूरा
(४९)
केरा गाछमे
घौरक संग कोसा
लटकल छै
(५०)
भारी रहितो
बीर खा-खा थिकहुँ
अँखियाएल
(५१)
नीचाँ-ऊपर
सक्षम छै सभठॉ
चाही टूस्सेटा
(५२)
राति दिनमे
कोनो नै अछि हीन
नाप-जोखमे
(५३)
गुण-दोषसँ
एक-दोसर बीच
अबैए फाँट
(५४)
दिन प्रतीक
बनि ज्ञानक अछि
भेल महान
(५५)
राति होइए
अज्ञानक प्रतीक
लोक कहैए
(५६)
दिनकेँ दुन्नी
राति चौगुन्नी सेहो
लोके कहैए
(५७)
निर्णए लिअ
नीक संग अधला
होइत कथी
(५८)
आश धड़ैए
बाट पतझारक
सभक सोझाँ
(५९)
उपाए बिनु
सहसहबइए
मनुख जन्म
(६०)
पूर्ति प्रकृत
करए चाहैत छै
मनुख तन
(६१)
मनक बाढ़ि
आबि-आबि तोड़ैए
तन-सँ-तन
(६२)
आड़ि-धूड़केँ
टुटलाहा मुँहकेँ
कियो ने जौड़ै
(६३)
कातिक मास
डंका बजा कऽ
तोड़ि दइए
(६४)
ओसा बना कऽ
मोट-महीं बेरा कऽ
उसनै कुटै
(६५)
खांहिस भरे
सोचि-सोचि कऽ डरे
महिंका बेचै
(६६)
छने-छनाक
उड़ि जाए दनाक
भेल निहत्था
(६७)
दुनू चलैए
इजोत-अन्हारक
खेलक संग
(६८)
जल-पोखरि
जबकल रहैत
सदि ठमकि
(६९)
अपन रश्मि
आगू बढ़बैमे केने
पृथ्वी अन्हार
(७०)
रोकि दै छह
बोन-झार प्रकाश
विह्वल सूर्ज
(७१)
चढ़ि अन्हार
पख अमवसिया
कहबैत छै
(७२)
काटि इजोर
कपचि-सपचि कऽ
पून प्रकाश
(७३)
विष जहान
जौहरी जोहि-जोहि
ज्ञानी थलग
(७४)
देह बिखाह
बिसबिसा बनबै
बतकथा भऽ
(७५)
जेहेन मुँह
हँसी तेहेन बनि
तान भरैत
(७६)
बिनु प्रेमक
खाली ई दुनियाँ छै
देखू अराधि
(७७)
मति-विमति
सुमति-कुमति भऽ
किछु ने पेलौं
(७८)
कोनो थिर छै
कोनो जुआरि सेहो
सजि-धजि कऽ
(७९)
घर समाज
उसर भऽ उसरि
काल कौशल
(८०)
कोकिल स्वर
सर्व प्रिय भऽ भरै
हृदै तरंग
(८१)
बहील कहि
रटैत छै आदिसँ
नै आश धरू
(८२)
बनि भिखारी
पसरल दुनियाँ
दानी शिव छी
(८३)
बकरी खुट्टी
खुटेस-खुटेस कऽ
पढ़ैत पाठ
(८४)
पुतरा बनि
मूक नाच नचैत
कठपुतरी
(८५)
बेटी किअए
बनेलौं शिव अहाँ
भूख सजेलौं
(८६)
भाव मनक
समेटि-समेटि कऽ
रूप सजैत
(८७)
बाम दहिन
बिनु बूझि-सूझि कऽ
बूच भऽ गेलौं
(८८)
जेहेन लूरि
तेहेन जिनगी भऽ
चलि-चलैत
(८९)
चिक्कन पानि
सदृश चमकै छै
कएल कर्म
(९०)
पबैत गति
उपरौटा खाली छै
जातकेँ देखू
(९१)
तरौटा छाती
लदने रहैत छै
उपरौटाकेँ
(९२)
दोखाह दुरि
केने अछि वसात
मिथिला वास
(९३)
खेती-पथारी
चौपट्ट भेल अछि
पलायनसँ
(९४)
भाषा-साहित्य
बान्ह-बन्हाएल छै
पेट पकड़ि
(९५)
विश्व बजार
रंग-बिरंगी घाट
सजल बाट
(९६)
प्रतिष्ठा बचा
नव दुनियाँ बना
स्वतंत्रा लेल
(९७)
बनल जीव
आनन्द सज्जित छै
पाँच कलासँ
(९८)
नै रोपाएत
कट्ठाे धान ऐबेर
रौदी आएल
(९९)
धूरा भरल
असमान ऊपर
बचत प्राण
(१००)
भरतै पेट
आशा अगिला जेठ
भगतै रेट