बुधवार, 9 मई 2012


हाइकू

पाथर तोड़ै
जेठ दुपहरिया
टपके घाम ।

नञ्गटे देह
जरठुआ रौदहि
जड़लै चाम ।

गुमकी सौँसे
पात डोलय नहि
विधातो वाम।

ढनकै मेघ
चमकल विजुरी
सुखल घाम ।

सुपक्क गोपी
खसल छहोछित
पकलै आम ।

अगता खेती
नक्षत्र अरदारा
सुखी किसान ।

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