शनिवार, 14 अप्रैल 2012


हाइकु

गद्दह बेर
गिरगिट बाजय
पहिले साँझ।

घुरक धुआँ
धुआयल अकास
मालक थैरि।

बारल साँझ
गोसाउनिक गीत
गमकै धूप।

गोइठा आँच
लहलह लहके
राति अन्हार ।

मरुआ रोटी
गमकैत फोरन
माछक झोर ।

अँगना पिढ़ी
बैसल खेनहार
नेना भुटका ।

निःशब्द राति
प्रियतम संगमे
हँसी-ठिठोली ।

प्रेमहि लीन
गमकैत कामिनी
भोरबा राति ।

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