गुरुवार, 21 जून 2012


हाइकु
बकः धेयान
नारी इज्जति पर
लगौने नर।

सगरो छैक
मड़राइत गिद्ध
मौस तकैत।

चित्त बाघिन
गिद्दर सभ मिलि
देह नोचैत ।

शक्तिस्वरूपा
चण्ड-मुण्डक पाँजे
कछमछाय ।

भीष्म आ' द्रोण
बनले धृतराष्ट्र
मूड़ी गाड़ने ।

अर्जुन भीम
पाण्डवक सैनिक
हारल योद्धा ।

लाज बचाउ
चिकरैछ द्रौपदी
हे गिरधारी ।

हाइकु 

बेघर बच्चा
ढेरिऔलक बालु
बनेतै घर ।

सिन्धु कछेर
उधियाइत पानि
दहेलै घर ।

गाछक तर
सिखैछ लिखनाइ
बच्चा 'घर' !

कहाँ छै ठर
बुढ-पुरान केर
अपने घर ।

अँगना घर
बनल मरचर
घरहि-घर ।