गुरुवार, 9 अगस्त 2012

ऐ प्राकृतिक दृश्यपर एकटा गजल, शेर, रुबाइ, कता, हाइकू/ टंका/ शेनर्यू/ हैबून लिखू ।चित्र :सौजन्य (c)Manoj nav, This work is licensed under the Creative Commons Attribution 3.0 License..)

    • Gajendra Thakur सन सत्तासीक बाढ़िक बहन्ने
      कमलामहारानीकेँ पार कएल पैरे बलानकेँ मुदा नाहसँ मुदा आइ ई की भेल बात दुनू छहरक बीच ई पानि झझा देत किछु कालमे लिअ मानि

      चरित्रक ई परिवर्तन देलक डराय
      नव विज्ञानक बात सुनाय
      बाँध-बान्हि सकत प्रकृति की ? भीषण भेल आर अछि ई
      हृदयमे देलक भयक अवतार देखल छल हम गामक बात बड़का कलम आ फुलवारीमे बड़का बाहा देल छल गेल पानिक निकासी होइत छल खेल
      नव विज्ञानी केलथि बाहा बन्न सभटा
      फाटक लागल छहरक भीतर बालु कएल बन्न मूँहकेँ एक पेरिया पर छलहुँ चलल हम आरिये-आरिये देखल रुक्ष पहिने छल अरिया दुर्भिक्ष आब दुर्भिक्ष अछि छुच्छ
      सिल्ली नीलगाय सभटा सुन्न विधमे शाही काँट अनुपलब्ध जूड़िशीतलक भोगक छल राखल गाछक नीचाँ सप्ताह बीतल नहि क्यो वन्यप्राणी आयल खाय चुट्टीक पाँत टा पसराएल
      छहरपर ठाढ़ अभियन्ताक गप छलहुँ सुनैत हम निर्लिप्त मुदा जाहि धारकेँ कएल पएरे पार तकर रूप अछि ई विस्तार !

      नवविज्ञानक चरित्रानुवाद होयत एहन नहि छल हम जानल मुदा देने छल ओकरा दुत्कार कुसियारक किछु गाछ बाढ़िक पानिक बीचमे ठाढ़ माटिक रंगक पानि आ हरियर कचोड़ गाछ छहरक ऊपरसँ झझायल पानि लागल काटय छहरकेँ धारक धार
      ठाम-ठाम क़टल छल छहर ऊपरसँ बुन्नी पड़ि रहल सभटा धान चाउर भीतक कोठी टूटि खसल पानिक भेल ग्रास
      हेलिकॉप्टरसँ खसल चूड़ा-गूड़ जतय नहि आयल छल बाढ़ि किएक तँ पानिमे खसिकय होएत बर्बाद हेलीकॉप्टरक नीचाँ दौगैत छल भीड़ भूखल पेट युवा आ वृद्ध

      ओ बूढ़ खा रहल छथि गूड़-चूड़ा बेटा-पुतोहुक शोक की करि सकत दूर पेटक क्षुधा?

      एकटा बी.डी.ओ.क बेटा छल मित्र कहलक ई सरकार अछि क्षुद्र ओकरा पिताकेँ शंटिंग केलक पोस्टिंग गिरीडीह सँ झंझारपुरक डिमोशन कनिंग
      मुदा भाग्यक प्रारब्ध अछि जोड़ आयल बाढ़ि पोस्टिंग भेल फिट
      सोचलहुँ जे हमरेटा प्रारब्ध अछि नीच शनियो नीच सरस्वती मँगेतथि की भीख? पहुँचलहुँ गाम पप्पू भाइक मोन छोट विकासक रूपरेखा जल-छाजन निकासी.....

      बात पर बात फेर सरकारक घोषणा बाढ़ि राहत एक-एक बोरा अनाज सभ बोरामे पंद्रह किलो निकाललथि ब्लॉकक कर्मचारी बूरि छी पप्पू भाई अहुँ मँगनीक बड़दक गनैत छी दाँत पिछला बेर ईहो नहि प्राप्त
      हप्ता दस दिनक बादक बात
      क्यो गेल बंबई क्यो धेलक दिल्लीक बाट गाममे स्त्री वृद्ध आ बच्चा बंबइमे तँ तरकारी बेचब बोझो उठायब सभ क्यो केलक ई प्रण मायक स्वप्न अछि कोठाक होअए घर अगिलहीक बाद फूस आ खपड़ा पुनः बनायल बखारी जखन भेल बखड़ा
      भने भसल बाढ़िमे भीत बनायब कोठाक घर हे मीत
      खसए लागल ईंटा गाममे कोठा-कोठामे भेल ठाम-ठाममे पुरनका कोनटा सभ गेल हेराय जतय हेरयबाक नुक्का-छिप्पी खेलायल हम भाए

      आब सुनु सरकारक खटरास आर्थिक स्थिति सुधारल हम मेहथमे कऽ खास आदर्श ग्राम प्रखंडक एकरा बनाओल कहैत छी जे हम बंबई-दिल्लीमे कमाओल !
      सुनु तखन ई बात ज्योँ रहैत अस्थिर सरकार तँ रहैत नहि दिल्ली नहि बम्मई विजयनगरम् साम्राज्यक हाल पुरातात्विककेँ अछि बूझल ई बात
      धन्यभाग ई मनाऊ हमरा जितबिते रहू हे दाऊ प्रगति-परिश्रम अहाँ करू हमर समस्यासँ दूर रहू
      बाढ़ि आएल सत्तासीमे तबाही देखलहुँ मुदा कहैत छी हम देखू आबाजाहीकेँ

      धन्यभाग अहीसँ तँ मनोरंजन मेला-ठेला खतम भेल हुक्कालोली भेल दिवाली आ जूड़िशीतलक थाल-कादो-गर्दा भेल होली तखन अहुँक बात सुनने दोष नहि
      कमाय लेल हमहुँ तँ दिल्ली-बंबईमे छी कमसँ कम अहाँक ई बड़कपन जे गामकेँ नहि छोड़ल मनोरंजनो करैत छी कमाइतो छी खाइतो छी आ दिल्ली बंबइ सेहो घुमैत छी
      December 3, 2011 at 1:24pm ·  · 12
    • मिहिर झा बाप रौ बाप / ई देलक बहाय / सबटा गाम / डीह डाबर तक / आब कतय जाय
      December 3, 2011 at 1:54pm ·  · 10
    • मिहिर झा हमर प्रदेश
      एक टा सिलेट
      चित्र बनाय लिखल सिलेट
      पंजिएने लिखल सिलेट
      एक्के झटका मे
      मिटायल सिलेट
      आब फेर हाथ मे
      खाली सिलेट
      December 3, 2011 at 2:01pm ·  · 13
    • Bechan Thakur bad neek gajendraji/ mihirji
      December 3, 2011 at 2:48pm ·  · 4


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