मंगलवार, 9 अगस्त 2011

हाइकू

आधुनिक मैथिली साहित्य केर सभसँ बेसी नैसर्गिक आ प्रतिभावान आ मैथिलीक पहिल जन-कवि आ मैथिलीक भिखारी ठाकुर श्री रामदेव प्रसाद मण्‍डल ‘झारूदार’ जीकेँ समर्पित हमर ई किसानी हाइकू।

1) कोदारि लेने / खेतिहर अबैए / खेत हँसैए

2) फूँही पड़ैए / आब खेत-खेतमे /बेंग बजैए

3) आरिक संगे / खूब ढ़ूसि लड़ैए /खेतक पानि

4) बीआ पड़लै /खेत अँकुरा गेलै/ हरखित ओ

5) बसात एने/ सदिखन नचैए/ ओ सीना तानि

6) आएल बाढ़ि / डुबलै सीस धरि / आब की हेतै

7) ओ बेर-बेर / खूब छाती पिटैए / खूब कनैए

8) सरकार तँ /की जुलुम करैए /चुप्पे देखैए

9) खेतिहर तँ / सरकारक संगे /झुट्ठे बैसल

10) गरदनिमे / फाँसी लगा लेलकै /ओ खेतिहर

11) संसद चालू / अटल हो की लालू / हा-हा, ही-ही हू