सोमवार, 16 मई 2011

हाइकू/ टंका/ शेनर्यू (चित्र: उत्तर भारत, सौजन्य पिकासो वेब एल्बम)



५ टा हाइकु -:


    (१)
प्रकृति केर
अद्भुत दृश्य ये
गाम घोर में
    (२)
पहाड़ तोर
खेत खलिहान ये
जीवनक डोर
    (३)
माटिक गुण
केकरा से कहब
अपने सोचु
    (४)
हरियर खेत
जीवनदायनी ये
मनुख लेल
   (५)
एही गोद में
हम जनमल छी
एते मरब


५ टा टंका -:


   (१)
विधना केर
अद्भुत रचना ये
एही प्रकृति
एहन लागय ये
रही जाऊ एतय
    (२)
उपजायब
हम एही माटि सों
स्वर्ण सृंखला
किछु अपना लेल
किछु अहाँक लेल
    (३)
झूमी रहल
किसानक मुनवा
मयूर सन
देखलक जब से
हरियर खेत के
   (४)
करू प्रणाम
अपन माटि कए
कोटि ह्रदय
जेकर प्रताप से
जिनगी भेटल ये
   (५)
फैली रहल
हरियर कचोड़
दूर तलक
स्वर्गो के माति दै ये
हिनक रूप रंग

गुरुवार, 5 मई 2011

हाइकू/ टंका/ शेनर्यू/ हैबून (चित्र: वरुण घाटी नेपाल, सौजन्य विकीपीडिया-Creative Commons Attribution 3.0 Unported license )

 (चित्र: वरुण घाटी नेपाल, सौजन्य विकीपीडिया-Creative Commons Attribution 3.0 Unported license )



१.
हाइकू




चढ़ाउतार
नै नड़हा फौदार
चाही प्रकृति




तागि प्रकृति
ताकैले भेलौं पार
सुखल पात


२.
टनका/ वाका


ई फूल फल
चढ़ैत जाइ आगाँ
कम होइए
उनटि देखी फेर
लगमे कम दूरे बेशी


३.
शेनर्यू


रंग छाड़ल
पहाड़ आर गाछ
मुदा जीवन


४.
हैबून


झझायल रंग कतेक वर्णक। बच्चाक किताबोसँ बेशी चमकैए ई प्रकृति, फूल, पात, बाट आ अकास। आ एकरा सभकेँ तँ छोड़ू ई बरफ, जे रेगिस्ताने ने छी, बालुक बदला बरफ। मुदा नै अछि ऑक्सीजन आ नहिये फूल-पात। मुदा एकर सेहो देखियौ शान। जइ रस्तासँ अबै छलहुँ से ओतेक कहाँ चमकै छलए। जखन ओइ प्रकृतिक लग छलहुँ तँ कहाँ ओकर रूप निङहारि पाबै छलहुँ। कियो दूरसँ देखैत होएत तँ निङहारि पबैत हएत हमरो, प्रकृतिक बीचमे हमहूँ प्रकृति बनल हएब। मुदा ऐ शिखरपर आबि जे सनगर लगैए ई प्रकृति।




गाछ भेल छै
असगरुआ बौआ
पात भेल छै
खिलौना प्रकृतिक
शिखर देखि


मुदा आब ऐ शिखरपर एलाक बाद लगैए जे बेकारे एलहुँ एतऽ। ऐ शिखरकेँ ओइ ठामसँ देखै छलहुँ तँ कतेक सुन्नर लगै छल ई शिखर। मुदा शिखरपर एलाक बाद आब तँ वएह गाम नीक लगैए। तुलना तखने ने हएत जखन गामक प्रकृतिकेँ शिखरसँ देखबै। गामसँ शिखर आ शिखरसँ गाम। मुदा लिलसासँ हाइ रे हाइ। आब चलै छी शिखरक ओइ पार। देखै छी ओइ दिसुका लोक समाज। दूरसँ लगैए दुनू कातक गाम नीक, तराउपड़ी। मुदा ओइ कातक गामसँ शिखर ओतेक सुन्नर लागत जतेक ऐ पारक गामसँ लगैए।




नै ठाढ़ होउ
चलू चली घुरैले
बनिजार छी
लोकक बीचमे छी
जाइत घुरैत छी

मंगलवार, 3 मई 2011

हाइकू (हैगा चित्र- तुनिशा प्रियम)

(हैगा चित्र- तुनिशा प्रियम)


1


उगैतोकेँ ई


कुश तिल अक्षत


आ डुमैतोकेँ


2


भेड़क जेड़


बहटाबी ओकरा


परदेसोमे


3


संस्कृतिक ई


गलञ्जर उठल


की हम चली


4


कथकिया कि


घरदेखिया क्यो नै


अबैए एत'


5


देखै छी हम


ऊँचगरसँ बनि


ब्रह्मा- महेश

रविवार, 1 मई 2011

1.टनका/ वाका 2.शेनर्यू 3.हाइकू 4.हैबून (हैगा चित्र- तुनिशा प्रियम)



हैगा चित्र- तुनिशा प्रियम


1.टनका/ वाका


प्रकृति रोष
कुश तिल जलसँ
विधवा बनि
सधवा की विभेद
दूबि अक्षत जल


2.शेनर्यू


बनैया लोक

घरक पनिबह

बिदति नहि


3.हाइकू


करबीरसँ
घर गाछ पहाड़
घेरल अछि


4.हैबून


करहड़ उपारि कऽ खाउ, प्रकृतिकेँ घरमे बसाउ, फुलवारी बनाउ, पहाड़क फोटो बना कऽ घरमे लटकाउ। आ भऽ जाउ प्रक्रुति प्रेमी। गामकेँ नग्रमे लऽ आउ, चित्रकारीसँ, कलाकारीसँ, बुधियारीसँ।




खेलाइ हम
करियाझुम्मरिमे
नीचाँ अकास


एकपेड़िया सड़क कतऽ पाबी आब, आब तँ चारि लेन सेहो कम चकरगर मानल जाइए। छह लेन, आठ लेन। अकास मलिछोंह,गाछक हरियरी मलिछोंह। मोन मलिछोंह। मुदा सड़क, घर सभ फोटो सन चिक्कन चुनमुन।


लिखी चित्रसँ
घरक खाका आइ
छी जङलाह