मंगलवार, 27 दिसंबर 2011

हाइकू



राइत दि‍न/ कोनो नै अछि‍ हीन/ नाप-जोखमे।


गुण-दोषसँ/ एक-दोसर बीच/ अबैए फाँट।


दि‍न प्रतीक/ बनि‍ ज्ञानक अछि‍/ भेल महान।


राइत अछि‍/ अज्ञानक प्रतीक/ लोक कहैए।


दि‍नकेँ दुन्‍नी/ राति‍ चौगुन्‍नी सेहो/ लोके कहैए।


नि‍र्णए लि‍अ/ नीक संग अधला/ होइते अछि‍।

बुधवार, 14 दिसंबर 2011

हाइकू



१) जोतल खेत/ आ नीपल आँगन/ नीक लगैए
२) पानिमे माछ /छह-छह करैए /बंसी हसैए
३) नवका धान/ आ नवकी कनियाँ /अनमोल छै
४) लतरल छै/ लत्ती चारहि पर /तीमन लेल
५) खुना रहल /पोखरि आ इनार/ डुबहे लेल
६) भूत-प्रेत छै /इ देशक जनता /नेता कहैए

गुरुवार, 22 सितंबर 2011

किछु हाइकू/ टनका/ हैबून


लैत ढुइस
कालिदासे लड़ैए
टुड़नीपर



माछक घर
सहथ गाँथि आनी
अपना घर



समुद्र थल
मिलैए अकासमे
त्रिशंकु भेल



प्रकृति ऐना
उधियाइत दृश्य
मोनक ऐना!



निचुका ढाला
उपरका चढ़ाइ
दुनू सरल

गोड़ाक लीद/ घोड़े सन रंगक/ आ रूपक छै

घर हमर/ नारक टाल सन/ उड़िऐत नै

आसक अछि/ पनिसोखा उगल/ चलू बढै छी

भेल उबेर/ उगल पनिसोखा/ काज करै छी/ बहराइ घरसँ/ बाट भेटल अछि (टनका)
१०
पनिसोखा ई/ उगल अकासमे/ उपरे ऊपर! (शेनर्यू)
११
आह, आब हएत उबेर, उगि गेल अछि पनिसोखा, खुजि गेल अछि बाट, बनिहार बिदा भेल बनिज करए, आ किसान बीया उखारि रोपनि लेल आ हम बिदा भेलौं कोनो अकाजक काज लेल, अन्तहीन बाटपर, सुकाजक काज लेल , दिशाहीन ठमकल चौबटिया दिस।
बाट तकैत
ताकी अकास दिस
विचित्र भ्रम
जेना ई पनिसोखा
उगि खोलत बाट


तखन फेरसँ ताकब, हेरब अपन समान, आ बर्खा होइ धरि चलैत रहब। तँ ई कहब जे बर्खा होइ धरि चलैत रहब कोनो पलायन तँ नै। पनिसोखा उगले अछि, बाट खुजले अछि आ हम बाट ताकि रहल छी आबैबला बर्खाक?
सतरंगिया
अछि ई आस
उगैए आस
डुबबाले अकास
बनि गेल संत्रास
(हैबून -दू टा गद्य आ दूटा टनका युक्त)
१२
सेहन्ता लेने/ ठाढ़ छी मरियो कऽ/ देखबै दिन
१३
कपोत नृत्य /गजदन्त बनल/ छी ठाढ़ सोझाँ
१४
टकराइए / हहारोह करैत/ टूटि जाइए
१५
अमरलत्ती/ गछारने गाछकेँ/ ओकरा मारि/ अपने बनि गेल/ अछि अमरलत्ती
१६
गरजै मेघ/ चमकैए बिजुरी/ प्रकृति नृत्य
१७
बिजुरी देखि/ मोन पड़ैए प्रेम / जे नै भेटल / हिलोरैए मेघ ई/ ह्रिदै भीतरधरि
१८
घिचै छी आस/ बरफपर नाह/ बिन प्रयास/ मोनक उछाही आ/ आसक प्रयासमे
१९
अम्ल बरखा/ नमछुरुक अछि/ देलियन्हि कऽ/ सुड्डाह सेहो बनि/ बनि काल-बरखा
२०
जीवन-बर्खा/ बर्खा दैए जीवन/ अम्लक बर्खा/ छद्मवेशी बनि कऽ / बनल मृत्यु-बर्खा
२१
जरियो गेल/ तैयो अछि ठाढ़ ई/ मुँह दुसैत
२२
सजीव हीन / सृष्टिविहीन लोक/ असगर छी/ कला तैयो मरल?/ नृत्य तैयो रुकल?
२३
मखान पान/ दिन तका भेटैए/ पहिचान जे/ पैकारक हाथमे/ बिका रहल अछि
२४
अहरा अछि/ पिरारक फड़ ई/ गरीबक यौ
२५
रातिक झोंझ/ राति अपने अछि/ कीड़ा आ चिड़ै/ वातावरण अछि/ शान्त आकि भुताह
२६
बौआचौरीमे/ चरि पेट लटकै/ घर घुरु ने/ चरबाहकेँ ताकै/ निकेना तँ अछि ओ
२७
अपरम्पार/ माइक ममताक/ विलक्षणता

मंगलवार, 9 अगस्त 2011

हाइकू

आधुनिक मैथिली साहित्य केर सभसँ बेसी नैसर्गिक आ प्रतिभावान आ मैथिलीक पहिल जन-कवि आ मैथिलीक भिखारी ठाकुर श्री रामदेव प्रसाद मण्‍डल ‘झारूदार’ जीकेँ समर्पित हमर ई किसानी हाइकू।

1) कोदारि लेने / खेतिहर अबैए / खेत हँसैए

2) फूँही पड़ैए / आब खेत-खेतमे /बेंग बजैए

3) आरिक संगे / खूब ढ़ूसि लड़ैए /खेतक पानि

4) बीआ पड़लै /खेत अँकुरा गेलै/ हरखित ओ

5) बसात एने/ सदिखन नचैए/ ओ सीना तानि

6) आएल बाढ़ि / डुबलै सीस धरि / आब की हेतै

7) ओ बेर-बेर / खूब छाती पिटैए / खूब कनैए

8) सरकार तँ /की जुलुम करैए /चुप्पे देखैए

9) खेतिहर तँ / सरकारक संगे /झुट्ठे बैसल

10) गरदनिमे / फाँसी लगा लेलकै /ओ खेतिहर

11) संसद चालू / अटल हो की लालू / हा-हा, ही-ही हू

रविवार, 24 जुलाई 2011

टनका/ हाइकू

टनका
गोरहा ढोल
छी गोबरकढ़नी
गोनौर बनै
वा गोइठाक ढोल
बढ़ैए ऊँच दिस



हाइकू


निचुका ढाला/ उपरका चढ़ाइ/ दुनू सरल


समुद्र थल/ मिलैए अकासमे/ त्रिशंकु भेल


माछक घर/ सहथ गाँथि आनी/ अपना घर


लैत ढुइस/ कालिदासे लड़ैए/ टुड़नीपर


एकपेड़िया/ धंगाइत ढहैत/ बनत रस्ता


खट मधुर/ हरियर आ लाल/ संगे-संग छै


     

सोमवार, 16 मई 2011

हाइकू/ टंका/ शेनर्यू (चित्र: उत्तर भारत, सौजन्य पिकासो वेब एल्बम)



५ टा हाइकु -:


    (१)
प्रकृति केर
अद्भुत दृश्य ये
गाम घोर में
    (२)
पहाड़ तोर
खेत खलिहान ये
जीवनक डोर
    (३)
माटिक गुण
केकरा से कहब
अपने सोचु
    (४)
हरियर खेत
जीवनदायनी ये
मनुख लेल
   (५)
एही गोद में
हम जनमल छी
एते मरब


५ टा टंका -:


   (१)
विधना केर
अद्भुत रचना ये
एही प्रकृति
एहन लागय ये
रही जाऊ एतय
    (२)
उपजायब
हम एही माटि सों
स्वर्ण सृंखला
किछु अपना लेल
किछु अहाँक लेल
    (३)
झूमी रहल
किसानक मुनवा
मयूर सन
देखलक जब से
हरियर खेत के
   (४)
करू प्रणाम
अपन माटि कए
कोटि ह्रदय
जेकर प्रताप से
जिनगी भेटल ये
   (५)
फैली रहल
हरियर कचोड़
दूर तलक
स्वर्गो के माति दै ये
हिनक रूप रंग

गुरुवार, 5 मई 2011

हाइकू/ टंका/ शेनर्यू/ हैबून (चित्र: वरुण घाटी नेपाल, सौजन्य विकीपीडिया-Creative Commons Attribution 3.0 Unported license )

 (चित्र: वरुण घाटी नेपाल, सौजन्य विकीपीडिया-Creative Commons Attribution 3.0 Unported license )



१.
हाइकू




चढ़ाउतार
नै नड़हा फौदार
चाही प्रकृति




तागि प्रकृति
ताकैले भेलौं पार
सुखल पात


२.
टनका/ वाका


ई फूल फल
चढ़ैत जाइ आगाँ
कम होइए
उनटि देखी फेर
लगमे कम दूरे बेशी


३.
शेनर्यू


रंग छाड़ल
पहाड़ आर गाछ
मुदा जीवन


४.
हैबून


झझायल रंग कतेक वर्णक। बच्चाक किताबोसँ बेशी चमकैए ई प्रकृति, फूल, पात, बाट आ अकास। आ एकरा सभकेँ तँ छोड़ू ई बरफ, जे रेगिस्ताने ने छी, बालुक बदला बरफ। मुदा नै अछि ऑक्सीजन आ नहिये फूल-पात। मुदा एकर सेहो देखियौ शान। जइ रस्तासँ अबै छलहुँ से ओतेक कहाँ चमकै छलए। जखन ओइ प्रकृतिक लग छलहुँ तँ कहाँ ओकर रूप निङहारि पाबै छलहुँ। कियो दूरसँ देखैत होएत तँ निङहारि पबैत हएत हमरो, प्रकृतिक बीचमे हमहूँ प्रकृति बनल हएब। मुदा ऐ शिखरपर आबि जे सनगर लगैए ई प्रकृति।




गाछ भेल छै
असगरुआ बौआ
पात भेल छै
खिलौना प्रकृतिक
शिखर देखि


मुदा आब ऐ शिखरपर एलाक बाद लगैए जे बेकारे एलहुँ एतऽ। ऐ शिखरकेँ ओइ ठामसँ देखै छलहुँ तँ कतेक सुन्नर लगै छल ई शिखर। मुदा शिखरपर एलाक बाद आब तँ वएह गाम नीक लगैए। तुलना तखने ने हएत जखन गामक प्रकृतिकेँ शिखरसँ देखबै। गामसँ शिखर आ शिखरसँ गाम। मुदा लिलसासँ हाइ रे हाइ। आब चलै छी शिखरक ओइ पार। देखै छी ओइ दिसुका लोक समाज। दूरसँ लगैए दुनू कातक गाम नीक, तराउपड़ी। मुदा ओइ कातक गामसँ शिखर ओतेक सुन्नर लागत जतेक ऐ पारक गामसँ लगैए।




नै ठाढ़ होउ
चलू चली घुरैले
बनिजार छी
लोकक बीचमे छी
जाइत घुरैत छी

मंगलवार, 3 मई 2011

हाइकू (हैगा चित्र- तुनिशा प्रियम)

(हैगा चित्र- तुनिशा प्रियम)


1


उगैतोकेँ ई


कुश तिल अक्षत


आ डुमैतोकेँ


2


भेड़क जेड़


बहटाबी ओकरा


परदेसोमे


3


संस्कृतिक ई


गलञ्जर उठल


की हम चली


4


कथकिया कि


घरदेखिया क्यो नै


अबैए एत'


5


देखै छी हम


ऊँचगरसँ बनि


ब्रह्मा- महेश

रविवार, 1 मई 2011

1.टनका/ वाका 2.शेनर्यू 3.हाइकू 4.हैबून (हैगा चित्र- तुनिशा प्रियम)



हैगा चित्र- तुनिशा प्रियम


1.टनका/ वाका


प्रकृति रोष
कुश तिल जलसँ
विधवा बनि
सधवा की विभेद
दूबि अक्षत जल


2.शेनर्यू


बनैया लोक

घरक पनिबह

बिदति नहि


3.हाइकू


करबीरसँ
घर गाछ पहाड़
घेरल अछि


4.हैबून


करहड़ उपारि कऽ खाउ, प्रकृतिकेँ घरमे बसाउ, फुलवारी बनाउ, पहाड़क फोटो बना कऽ घरमे लटकाउ। आ भऽ जाउ प्रक्रुति प्रेमी। गामकेँ नग्रमे लऽ आउ, चित्रकारीसँ, कलाकारीसँ, बुधियारीसँ।




खेलाइ हम
करियाझुम्मरिमे
नीचाँ अकास


एकपेड़िया सड़क कतऽ पाबी आब, आब तँ चारि लेन सेहो कम चकरगर मानल जाइए। छह लेन, आठ लेन। अकास मलिछोंह,गाछक हरियरी मलिछोंह। मोन मलिछोंह। मुदा सड़क, घर सभ फोटो सन चिक्कन चुनमुन।


लिखी चित्रसँ
घरक खाका आइ
छी जङलाह

शुक्रवार, 29 अप्रैल 2011

हाइकू


करियो कृपा/ करैत छि नमन/ हे छठी माई

साँझक बेर/ सूर्य देव के आगांs/ जोडैत हाथ

दुहि रहल/ पेट भरय लेल/ बकरी केर

दूर नै ये/ बस चारि कदम/ मंजिल लेल

सड़के कात/ बेचीं रहल छैक/ हाथक कला

अपन गीत/ अपन वेश-भूषा/ अपन नाच

नाचि रहल/ ढोल के धुन पर/ छोड़ा आ छौड़ी

फेनिल पानि/ कल कल करता/ देत डूबाई

स्वर्गक सीढ़ी/ बनाउ देलक ये/ विधना लेल

निर्मल पानि/ शांत पड़ल छैक/ ये किछु बात

धरती पर/ उतरी रहल ये/ नभ प्रकृति

मोहक दॢश्य/ प्राकृतिक रचना/ इन्द्रधनुषी

ठूंठ गाछ पे/ अकुलायत चिड़ै/ प्यासल चोंच

हाइकू


नेता

सबटा चोर/ मरय केर बाद/ बनल नेता

गिरगिट सों/ रंग बदलनाय/ सिखलक ये

मुहं में राम/ बगल में छुरी के/ करैत सिद्ध

वोटक लेल/ लगेता दाँव पर/ आँखिक लाज

सात पुश्त भी/ नेहाल भए जेता/ बनिके नेता

निगैल गेल/ सुरसा बनि केर/ सोंसे देश के

नेताक नाम/ सुनैय में लागय/ जेना गारि ये

गुरुवार, 28 अप्रैल 2011

हाइकू


मुखिया -:
चुनाव लेल
पहिरे लागल ये
खादी कुरता

सरपंच-:
बुझायल जों
महिमा चुनाव के
गेल बोराय

पंच-:
दारु,टका सों
ख़रीदे रहल ये
सबटा वोट

वार्ड-सदस्य -:
चुनावी नैया
पार करय लेल
जोड़ैत हाथ

जनता-:
पाँच साल के
निकालैत छिकार
ये बुधियार

हाइकू

दादा -:
नेता बनिके
पहिरे लागल ये
खादी कुरता

दादी-:
पान चबौने
नेने हाथ में लाठी
घूमि रहल

बाबूजी -:
धिया पुता ले
रौद में दिन भरि
खटैत रहे

माय -:
बनि पुतौह
करैत ये चाकरी
अपने घोर


बहिन -:
भेल जवान
बियाहक आस में
गिनैत दिन

भाई -:
लुच्चा बनिके
अंगना दुआर पे
छिछियाबैत

हम -:
देखि सुनि के
परिवारक गाथा
भेलोंउ क्षुब्ध

हाइकू

1
संगोर राति
दिन राति सन-ए
आ राति राति
2
दूर क्षितिज
मुँह घुरौने सभ
अपने भेर
3
दूर क्षितिज
वृत्तक नहि अंत
लगक छद्म
4
मेघक सीढ़ी
अकासक मचान
हिम छारल


5
अन्हार जोति
कएल प्रकाशित
अंतःप्रकाशे
6
सलाढ़ आब
अरियालङ्घनक
बादक हाल
7
अगरजित
खसब नै उठब
ओतै रहब
8
साँप घुमैत
पहुँचैए शिखर
रस्ता बनैए
9
जलपै बेढ़ी
बोनाठ धमाउर
उपटाएब
गजल
10
डलबाह नै
पंजियार भगता
भगैतिया नै
11
केराक बीर
काज करब कनी
खाएब टुस्सा
12
घुमौआ मोड़
चौबटिया बनि कऽ
आनैए आस
13
झरैए पानि
बनबैए धार आ
बढ़ैए आगाँ